लेखिका- डॉ धृती वत्स

क्या आपको पता था कि नींद न आने की परेशानी मधुमेह कि संकेतक हैं? जी हाँ , मधुमेह और नींद का बहुत गहरा रिश्ता हैं। इसलिए गलती से भी नींद न  आने की परेशानी को नज़रानअंदाज़ करने की गलती न करें। आज ज्यादातर डॉक्टरों का यह मानना है कि नींद कई स्वास्थ्य विकारों का सबसे अच्छा समाधान है। अतः नींद ना आना किसी परेशानी का संकेतक होती हैं। मधुमेह भी उन परेशानियों में से एक हैं।

अगर आपको मधुमेह हैं तो नींद एक चुनौती बन सकती हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग रात की नींद ढंग से नही लेते, उनमें  से  परेशानियां होने का खतरा ज़्यादा होता हैं। मधुमेह के कारण आपके नींद की आदतें बदलना एक बेहत आम बात हैं। अक्सर  मधुमेह से पीड़ित लोगों को बहुत प्यास लगती है और इसके कारण उन्हें बाथरूम जाना पड़ता हैं, इससे उनकी नींद ख़राब होती है। कम रक्त ग्लूकोज के स्तर या ह्य्पोग्ल्य्काइमिआ में भी नींद के दौरान बहुत पसीना, कमज़ोरी और कपकपी होना सामान्य नींद को परेशानयां हैं।

नीचे नींद से जुडी अनेक बिमारियों के बारें में बताया गया हैं । मधुमेह से संबंधित कई नींद कि समस्याएँ हो सकती है जैसे, नींद एपनिया , रेस्टलेस लेग सिंड्रोम या नींद न आना। आइयें इस नींद और  मुश्किल रिश्तें को समझने कि कोशिश करें।

 

स्लीप एपनिया क्या होता है?

स्लीप एपनिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रात को सोने के दौरान सांस लेने मे दिक्कत होती है। यह परेशानी आमतौर पर अधिक वजन वाले पुरुषों में होती है। स्लीप एपनिया या में अचानक से गले की मांसपेशियों काम करना बंद कर देती है, सांस लेने परेशानी और रक्त में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट  हो जाती है। स्लीप एपनिया से पीड़ित लोग नींद मे अक्सर खर्राटे लेते  हैं। लेकिन यदि ये नियमित रूप से होता है तो यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।  यह परेशानी आगे जा कर दिल और दिमाग को भी नुक्सान पहुंचा सकती है।  इसलिए इस  परेशानी पर ध्यान देना बहुत  ज़रूरी हैं।  अगर आप या आपके परिवार में कोई भी सोते समय ऐसी परेशानी का शिकार हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।   

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम क्या है?

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (आरएलएस) एक काफी आम बीमारी हैं परन्तु ज़्यादातर लोगों को इसके बारें में पता ना होने से अक्सर नज़रअंदाज़ रह जाती हैं। आराम करते हुए पैरो मे तेज़ झनझनाहट और पैरो में दर्द और पैर हिलाने को आरएलएस कहतें है । पैर कि माँसपेसियों में बेचैनी महसूस करना और लगातार मालिश या हिलाते रहने की इच्छा होना सब रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से जुडी हुयी है। आरएलएस से राहत पाने के लिए सोने से पहले गर्म पानी से स्नान या व्यायाम करने से परेशानी में मदद मिलती है। यदि लक्षण लगभग हर रात होते हैं, तो  डॉक्टर से मिलें और सही इलाज कराएं।

अनिद्रा क्या है?

अनिद्रा को सरल शब्दों में नींद से जुडी हुयी सारी परेशानियां होती हैं। यह परेशानियों की कई वजह हो सकती हैं, जैसे की चिंता, तबियत ठीक ना होना आदि। मधुमेह भी अनिंद्रा कि एक एहम वजह हो सकती हैं। इसलियें अगर  नींद ना आने कि परेशानी को ध्यान दें और सही मदद लें।

क्या नींद की कमी, मधुमेह का कारण हो सकती है?

जिनको मधुमेह है और पर्याप्त इंसुलिन नहीं मिलता है उनको हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता हैं। ऐसे में व्यक्ति का विचलित, कमजोर महसूस करना और नींद आना आम है। अगर नियमित रूप से शुगर स्तर की निगरानी की जाए तो ऐसी स्थिति को टाला जा सकता है।

शोध से यह भी पता चलता है कि मधुमेह और नींद का सम्बन्ध है। हमारे शरीर को सही तरह से काम करने के लिए अच्छी रात की नींद आवश्यक है। यदि आपको रात में  नींद आने में  परेशानी होती है और आपको कि दिन मे अक्सर नींद आया करेगी। इस वजह से आपके खाने के तौर तरीके पर भी फर्क पड़ सकता है। आसानी से उपलब्ध उनहेल्थी खाद्य पदार्थों को खाकर आपके शुगर स्तर पर प्रभाव पड़ सकता है और इससे आपको अधिक वज़न जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।  

क्या करें?


यदि आपको रात में नींद आने में परेशानी होती हैं और रातभर बेचैनी महसूस करते हैं तो आप अगली सुबह तंदरुस्त महसूस नहीं करते । तो ज़रूर मधुमेह का टेस्ट करवाएं। नींद कि  नज़रअंदाज़ ना करें और डॉक्टर से मिलें। सुकून की नींद पाने के लिए आप बहुत सी चीजें कर सकते हैं, जैसे कि :

  • इलेक्ट्रॉनिक गैजेटों का सोने के समय प्रयोग ना प्रयोग ना करें।
  • छुट्टियों के बावजूद, हर दिन नियमित समय पर सोऐं और उठें ।
  • व्यायाम दिन के समय मे करें रात में सोने से पहले नहीं।  
  • शाम के बाद कोई कैफीन उत्पाद न लें।
  • शराब का सेवन सीमित रखें।  
  • सुनिश्चित करें कि आपके गद्दे, तकिए और कंबल आरामदाय हैं।
  • अपने कमरे का व्यातावरण शान्त रखें ।
  • शोर को दूर रखें।
  • कमरें और अंधेरा करके सोएं।  
  • रात को  पहले गरम दूध पीने से नींद आने में आराम मिलता हैं।  

 

आपका ख्याल आपको खुद ही रखना हैं। इसलियें किसी भी परेशानी को नज़रअंदाज़ ना करें। हर तीन महीने पर मधुमेह कि जांच करवाएं।

 

रखें अपना ख्याल