लेखिका – प्रेक्षा बुट्टन
लीवर को हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक माना जाता है। आखिरकार यह 500 से अधिक कार्यों के लिए ज़िम्मेदार है। भोजन पचाना और शरीर को अंदर से साफ़ करना इसके कुछ महत्वपूर्ण कार्य है। लेकिन अक्सर लोग शराब का सेवन कर लीवर को गंभीर नुकसान पहुँचाते है। शराब के अत्यधिक सेवन के कारण लीवर की बीमारियाँ विभिन्न चरणों में होती है। बढ़ते चरणों के साथ-साथ लीवर को फिर से स्वस्थ करना मुश्किल हो सकता है क्यूंकि प्रत्येक चरण बदतर होता चला जाता है। आज हम इन्ही लीवर की बिमारियों के बारे में चर्चा करेंगे और यह जानेंगें की कैसे आप उन्हें समय रहते पहचान सकते है।
फैटी लीवर
फैटी लीवर एक ऐसी बीमारी है जिसमें आपके लीवर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। इसके दो प्रकार होते है – नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर और अल्कोहोलिक फैटी लीवर। नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर में फैट जमा होने के साथ-साथ लीवर की कोशिकाओं में सूजन होती है। यदि आप मधुमेह, मोटापे या उच्च रक्तचाप से जूझ रहे है तो आपको नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर का अधिक खतरा हो सकता है। वही दूसरी ओर अल्कोहोलिक फैटी लीवर शराब के अधिक सेवन के कारण होता है। जब लीवर शराब को मेटाबोलाइज़ करता है तब एसीटैल्डिहाइड नामक रसायन का उत्पादन होता है। क्यूंकि यह रसायन हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है इसलिए शरीर फैट के बजाए इसे जलाने लगता है। अगर आपका शराब का सेवन बहुत अधिक है तो आपके लीवर में फैट जमा होता रहेगा और बचा हुआ एसीटैल्डिहाइड जिसे शरीर जलाने में विफल रहता है वह भी लीवर को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देगा।
इस बीमारी को समय रहते पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है क्यूंकि इसके लक्षण कम दीखते है। लेकिन फिर भी कई मामलो में इस प्रकार के लक्षण देखे गए है:
- कमज़ोरी
- थकान
- पेट में दर्द
- पैरों में सूजन
- रक्त वाहिकाओं का दिखना
- नकसीर
- भूख कम लगना
अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस
जैसा की आप जानते है कि शराब को मेटाबोलाइज़ करने से एक रसायन उत्पन होता है। और अगर वह प्रभावी ढंग से शरीर द्वारा जलाया नहीं जाता है तो वह लीवर को हानि पहुँचाना शुरू कर देता है। लीवर को हो रहे इस नुकसान के कारण लीवर की कोशिकाओं में सूजन आ जाती है। इस स्थिति को अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस कहा जाता है। जो लोग शराब का बहुत अधिक सेवन करते है उनको अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस का खतरा अधिक होता है। इसके आलावा क्यूंकि महिलाओं का शरीर पुरुषों की तुलना में शराब को अलग तरीके से मेटाबोलाइज़ करता है, इसलिए उनको भी अल्कोहोलिक हेपेटाइटिस का अधिक खतरा रहता है।
अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखने लगते है तो आपको तुरंत शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। ऐसा न करने पर लीवर को गंभीर नुकसान हो सकता है।
- भूख में कमी
- पीलिया
- बुखार
- पेट में सूजन या दर्द
- थकान
- आसानी से छोटे लगना या खून आना
- जी मिचलाना
हेपाटिक एन्सेफलोपैथी
अगर लीवर को गंभीर नुकसान हो जाए तो वह शरीर में से विषाक्त पदार्थों को बहार निकालने की अपनी क्षमता खो देता है। यह रक्तप्रवाह में विषाक्त पदार्थों के निर्माण का कारण बनता है जो अंततः मस्तिष्क तक पहुंचते है। नतीजतन, मस्तिष्क के कार्य बाधित हो जाते हैं। हेपाटिक एन्सेफलोपैथी के मरीज़ को कोमा में चले जाने का भी खतरा रहता है।
हेपाटिक एन्सेफलोपैथी के निम्नलिखित लक्षण देखे गए है:
- सोचने में कठिनाई
- व्यक्तित्व में बदलाव
- उलझन
- निर्णय न ले पाना या ख़राब निर्णय लेना
- चिंता
- हाथ कांपना
- बोलने में कठिनाई
- विस्मृति
लीवर सिरोसिस
लिवर सिरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर अत्यधिक शराब पीने से होने वाले नुकसान के कारण गांठदार और कठोर हो जाता है और उसपर दाग पड़ जाते है। इस कारण लीवर अपने कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। शराब के लगातार सेवन से लीवर सिरोसिस जानलेवा भी हो सकता है। समय रहते इसको पहचानने से इस बीमारी से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
लीवर सिरोसिस के यह लक्षण होते है:
- थकान
- भूख में कमी
- जी मिचलाना
- त्वचा में खुजली
- पीलिया
- रक्त वाहिकाओं का दिखना
- बोलने में कठिनाई
- तंद्रा
लीवर कैंसर
शरीर के अन्य हिस्सोंसे कैंसर कोशिकाएँ आसानी से लीवर को प्रभावित कर सकती है क्यूंकि सभी रक्त लीवर से गुज़रता है। इसके अलावा, अधिक शराब पीने वाले को हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी) नामक प्राथमिक लीवर कैंसर का खतरा होता है। लीवर का गंभीर नुकसान या सिरोसिस के उन्नत चरण भी एचसीसी का कारण बनता है। इसके अलावा, यदि आपको मधुमेह, मोटापे या अन्य गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां हैं, तब भी आपको इसका खतरा अधिक है। आपके लिए यह जानना ज़रूरी है की लीवर कैंसर का इलाज नहीं है। लेकिन कीमोथेरेपी और रेडिएशन से कुछ हद्द तक मदद मिल सकती है। लीवर कैंसर के लक्षण चर्चा किए गए अन्य लीवर की बिमारियों के समान है। समय पर उनकी पहचान करना सीखें और उनका इलाज करवाएँ।
(इस आर्टिकल को इंग्लिश में पढ़ें)
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