Contributed by – Healthians Team
बारिश सिर्फ एक मौसम नहीं बल्कि खुशीयों का दूसरा नाम हैं। गरज़तें बादल, रंग बिरंगी छतरियां, गीली मिट्टी की सौंधी खुश्बू, कागज़ की कश्तियाँ, गरम चाय की प्याली, पकोड़े, बारिश में भीगना कितना सुहाना लगता हैं। जलती चुभती गर्मी के बाद बारिश हर किसी के मन और इस धरती को आनंद से भर देती हैं। परन्तु, बारिश के मौसम की कुछ खामियां भी हैं जोकि हमारे रोज़ मर्या के जीवन को कठिन बना देती हैं।
बारिश के मौसम में अक्सर कीचड़, गन्दगी, कीड़ें, मच्छर बढ़ जातें हैं। इस दिल को भाने वाले मौसम में बीमारियां आसानी से फैलती हैं। इस लिए ज़रूरी हैं की हम पूरे तैयारी के साथ इन बीमारियों से खुद का बचाव करें। इस मौसम में सावधानी रखना ही समझदारी हैं। आइयें वर्षा ऋतू में होनेवाले कुछ आम बीमारियों के बारें में जानें ताकि हम उनसे लड़ने के लिए खुद को तैयार कर सकें। बारिश में फैलने वाले बीमारियों को व्यापक रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैं:
वाटरबोर्न: गंदे पानी से फैलने वाली बीमारियां जैसे कि टोनसीलाईटिस, फ्लू, टाइफोइड, कंजेक्टिवाइटिस आदि।
वेक्टर बोर्न: वेक्टर या वाहक (मच्छर) से फैलने वाले बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया।
ऐसे ही कुछ बारिश में होने वाली बीमारियां और उनसे बचने के तरीके नीचे दिए गए हैं।
बारिश में होने वाली बीमारियां
आँखों का संक्रमण
बारिश के मौसम के दौरान आँखों की अच्छी देखभाल करना बेहद आवश्यक हो जाता हैं। आँखों के इन्फेक्शन्स जैसे की कंजक्टिवाइटिस, स्टाई, आंखें में खुजली, कॉर्नियल अल्सर आदि संक्रमण वर्षा ऋतू में काफी आम बात बन जातें हैं। इसीलिए यह सलाह दी जाती हैं की आँखों का ख्याल रखें और इन परेशानियों से बचें। अनियमित इलाज और गलत देखभाल से आँखों की बीमारियां बढ़कर गमभीर रूप और कई बार अंधेपन में भी बदल सकती हैं। आँखों की देखभाल को अपनी प्राथमिकता बनायें।
लक्षण
- आंखों में दर्द
- आंखों से निरंतर पानी बहना
- धुंधली दृष्टि
- लाल आँखें
- आँखों में जलन
- खुजली
- आंखों का चिपचिपा लगना
सही देखभाल
- गंदे, दूषित हाथों या कपड़े से अपनी आंखें मत छूएं।
- धीरे-धीरे ठंडे पानी से अपनी आंखें धोएं (आंखों में पानी न डालें, यह आपकी आंख को नुकसान पहुंचा सकता है)।
- अगर खुजली हो तो अपनी आंखों को रगड़ें नहीं बल्कि साफ, मुलायम तौलिया या सूती कपड़े से सहलाएं।
- लंबे समय तक टीवी या लैपटॉप देखने से बचें क्योंकि यह आपकी आंखों पर ज़ोर दालता हैं।
- यदि आप तैरते हैं तो संक्रमण से बचने के लिए तैराकी चश्मे का उपयोग करें।
- डॉक्टर से परामर्श किए बिना आंखों में कोई दवा न डालें।
- बाहर जाने पर चश्मा पहनें, यह आपको संक्रमण से बचाएगा।
पेट के संक्रमण
बारिश का मौसम में पकोड़ियां, समोसे खाने का माज़ा ही कुछ और होता हैं। परन्तु बारिश में बाहर खाने का मतलब हैं बिमारियों को निमंत्रण देना। साल के इस समय में दस्त, कोलेरा, फ़ूड पोइशनिंग अदि लोगों को अपना आसान शिकार बनाते हैं। प्रदूषित भोजन या पानी, गंदे हाथों से खाने से हम कई इन्फेक्शन्स को अपने शरीर का रास्ता दिखा देते हैं।
लक्षण
- पेट में दर्द
- जी मचलना
- उल्टी
- पेट के नीचले भाग में दर्द
- पेट फूलना
- मल में खून
- दस्त
सही देखभाल
- खाने से पहले और बाद अपने हाथों को अच्छे से धोएं।
- हर बार बाहर से आने पर सैनिटाइज़र का प्रयोग करें।
- कहीं से भी पानी न पीएं। पानी की बोतल का इस्तेमाल करें।
- बहार का भोजन खाने से बचें।
- रेस्तरां में प्याज और सलाद न खाएं।
- अपने आप को हाइड्रेटेड रखें।
- खुद ही दवाईयां न ले।
- संक्रमण के मामले में डॉक्टर के पास जाएं।
छाती संक्रमण
बारिश के दौरान जीवाणु संक्रमण बढ़ जातें है। यह मौसम में जीवाणु तेजी से विकास करते हैं और फेलतें हैं। सर्दी, खांसी और निमोनिया होने की संभावना बढ़ जाती है। खासकर उन लोगों में जिन्हे फेफड़ों की समस्या रहती हैं।
लक्षण
- छींक आना
- खाँसी
- गले में जलन
- थूक
- छाती में दर्द
सही देखभाल
- नियमित रूप से सैनिटाइज़र का प्रयोग करें।
- छीकतें या खास्तें समय रुमाल का प्रयोग करें।
- बहुत सारे तरल पदार्थ पिएं और अपने आप को हाइड्रेटेड रखें।
- अल्कोहल और कैफीन से बचें।
- नियमित रूप से गार्गल करें।
त्वचा संक्रमण
बारिश में नमी बढ़ जाती हैं जो पसीना बढ़ाती है और स्किन की परेशानियां पैदा करती हैं। पसीना आपके शरीर और कपड़ों में गंध पैदा करती है। मॉनसून के दौरान त्वचा में बहुत सारे बैक्टीरिया और फंगल इन्फेक्शन्स आराम से पनपते हैं। ऐसी परिस्थितियों में रिंगवर्म जैसी बीमारी आसानी से बढ़ती हैं।
लक्षण
- बहुत ज़्यादा पसीना आना
- खुजली होना
- बदबूदार पांव
- बालों में खुजली
- शरीर में खुजली और जलन होना
- दानें और त्वचा का लाल पड़ना
सही देखभाल
- कम पीएच वाले साबुन या फेसवाश का प्रयोग करें।
- स्नान में डिटोल या सावनॉन जैसे कीटाणुशोधक का प्रयोग करें।
- सूखे कपड़े पहनें जिनमें नमी न हों।
- पसीना रोकने वाले पाउडर का प्रयोग करें।
- अपने बालों को पूरी तरह से धोएं और सुखाएं।
- पैरों में फंगल इन्फेक्शन को रोकने के लिए खुलें जूतों का चयन करें।
- बारिश में गीले होने से बचें।
- गीले कपड़ों को धुप में अच्छी तरह से सुखाएं।
बुखार
बारिश के मौसम के दौरान डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के फैलने का जोखिम बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। ये सभी बीमारियां वेक्टर यानी मच्छर के काटने के कारण होती हैं। चिकनगुनिया और डेंगू दोनों मच्छर एडीज के काटने के कारण होते हैं। दोनों बिमारियों में एक तरह के लक्षण दिखाते हैं इसलिए दोनो के बीच में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। दूसरी तरफ, मलेरिया मादा मच्छर एनोफेलेस के काटने से होती है।
डब्ल्यू एच ओ के मुताबिक भारत में 7 लोगों में से करीब 1 को मलेरिया होने का खतरा है। बुखार को गलती से भी अनदेखा न करें। वास्तविक कारण की पहचान करने के लिए डॉक्टर से मुलाकात करें। बारिश के दौरान बुखार कई वजह से हो सकता हैं जैसे कि संक्रमण, मच्छर काटने और अन्य कारण। इसलिए बुखार के पीछे का वास्तविक कारण कों पेहचाना सही और समय पर उपचार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर है। इस सच को बेहतर सेहत के लिए अपनाएं और इस बारिश के मौसम में ध्यान रखें।आप जो खाते हैं और पीते हैं उसका ख्याल रखें। उपर्युक्त सलाह का पालन करें और मच्छर मुक्त बनाने के लिए अपने आसपास सफाई रखें। कुछ ज़रूरी सावधानी बरतने से आप बीमारियों में से कई कोंसो दूर रह सकतें हैं।