लेखक – डॉ दीपक पराशर
स्तन कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर बन गया है और हृदय रोगों के बाद यह उनमें मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। जबकि कैंसर को रोका नहीं जा सकता लेकिन इसके कारण होने वाली मौतों को निश्चित रूप से कम किया जा सकता है। उचित जागरूकता, लक्षणों की सही पहचान और समय पर निदान इस बीमारी से लड़ने और इलाज में मदद कर सकता है। इसलिए आज हम आपको इस घातक बीमारी से निपटने की सारी जानकारी देंगें क्यूंकि स्तन कैंसर को हराना नामुमकिन नहीं है।
स्तन कैंसर क्या है?
यह एक ऐसी स्थिति है जब स्तन में कैंसर कोशिकाओं का एक समूह बन जाता है। इस समूह को मलिग्नैंट टूमओर के रूप में भी जाना जाता है। ये कोशिकाएँ शरीर के अन्य भागों में अनियंत्रित रूप से फैल सकती हैं। यद्यपि इस स्थिति से पुरुष और महिला दोनों प्रभावित हो सकते हैं, यह महिलाओं में अधिक आम है। अधिकांश स्तन कैंसर या तो लोबूल में शुरू होते हैं जो एक स्तन ऊतक है जो दूध उत्पादन के लिए ग्रंथियों से बना होता है; या नलिकाओं में जो लोब्यूल्स को निपल्स से जोड़ते हैं।
स्तन कैंसर के लक्षण क्या हैं?
स्तन कैंसर के निम्नलिखित लक्षण आमतौर पर देखे गए है।
- एक गांठ जो बाकी स्तन से अलग महसूस होती है
- स्तन के दूध के अलावा निप्पल से अन्य निर्वहन
- निप्पल के आस पास की त्वचा पर चकत्ते
- स्तन में सूजन
- दो स्तनों के बीच स्पष्ट विषमता
- लाल और गर्म त्वचा
- दर्द या कोमलता
- स्तन के ऊपर की नस का बढ़ना
- ट्यूमर के नीचे की त्वचा में खिचाव
- निप्पल मुकरना
ध्यान रखें कि आपके द्वारा देखा गया लक्षण अन्य स्वास्थ्य समस्या का कारण भी हो सकता है। इसलिए आपके सही निदान के लिए किसी पेशेवर द्वारा इसकी जांच करवाना महत्वपूर्ण है।
स्तन कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं?
बहुत सारे कारक महिलाओं में स्तन कैंसर के विकास का कारण बन सकते हैं।
आयु – 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में स्तन कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। हालांकि हाल ही में छोटी उम्र की महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले भी पाए गए हैं।
पारिवारिक इतिहास – यदि आपके परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास है, तो आपको इसके बारे में अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
नैदानिक इतिहास – यदि आप पहले से ही मलिग्नैंट कैंसर से पीड़ित हैं, तो स्तन कैंसर के विकास का जोखिम अधिक है।
देर से गर्भावस्था – जिन महिलाओं की पहली गर्भावस्था 35 की उम्र के बाद होती है उन्हें स्तन कैंसर का अधिक खतरा होता है।
जीवनशैली – रजोनिवृत्ति के बाद अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होना, शारीरिक निष्क्रियता, उच्च वसा वाले आहार और अधिक शराब का सेवन भी स्तन कैंसर के विकास की संभावना को बढ़ा सकता है।
लंबे समय तक हार्मोनल एक्सपोज़र – लम्बे समय तक मासिक धर्म या रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग महिलाओं के स्तन कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ाता है।
स्तन कैंसर के प्रकार क्या हैं?
प्रभावित कोशिकाओं के आधार पर विभिन्न प्रकार के स्तन कैंसर होते हैं। उन सभी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है – इन-सीटू और इनवेसिव। इन-सीटू वह कैंसर होता है जो अन्य भागों में नहीं फैला होता है। और इनवेसिव कैंसर वह होता है जो आसपास के ऊतकों में फैल गया होता है। स्तन कैंसर के सबसे आम प्रकार डक्टल कार्सिनोमा और लोब्यूलर कार्सिनोमा हैं।
स्तन कैंसर कैसे फैलता है?
इस प्रकार का कैंसर सबसे अधिक हड्डियों, मस्तिष्क, यकृत और फेफड़ों में फैलता है। यह कैंसर कई तरीको से शरीर में फ़ैल सकता है। यह आस पास के अंगो में आसानी से जड़ ले सकता है और वह बढ़ना शुरू कर देता है। लसिका प्रणाली के कारण भी यह कैंसर अन्य कोशिकाओं में फ़ैल सकता है। कैंसर कोशिकाएं लसिका संचार प्रणाली में प्रवेश करती हैं और शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करती हैं। कैंसर फैलने का एक और तरीका है हेमटोजेनस स्प्रेड जो लसिका प्रसार से मिलता-जुलता है। इसमें कैंसर कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं के माध्यम से नए अंगो को प्रभावित करती है।
स्तन कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?
नियमित जांच की मदद से लक्षण दिखने के पहले ही कैंसर को पहचाना जा सकता है। या यह तब पहचाना जा सकता है जब आप अपने लक्षणों की जाँच करवाते हो। अधिकांश स्तन गांठ कैंसर नहीं होती या मलिग्नैंट होती है जो न ही हानिकारक होती है और न ही अन्य भागो में फैलती है। हालांकि, जब कैंसर का संदेह होता है तो उसकी सही जाँच उनका चरण पता लगाने और निदान से लिए सूक्ष्म विश्लेषण आवश्यक है।
(इस आर्टिकल को इंग्लिश में पढ़ें)