Contributed by – Healthians Team
कीटो डाइट आजकल बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय हो रही है। और ऐसा हो भी क्यों ना? आखिर अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों से लेकर आपके पड़ोसी भी इस डाइट की तारीफें कर रहे है। आपने ज़रूर किसी न किसी से इस डाइट के फाएदे और इसकी वज़न कम करने की योग्यता के बारे में सुना होगा। वास्तव में कीटो डाइट की लोकप्रियता का राज़ भी यही है कि यह वज़न काम करने में बहुत मदद करती है। अगर आपके मन में कीटो डाइट के लाभ और नुकसान को लेकर को भी सवाल है तो आइए उनके जवाब जानें।
कीटो डाइट क्या है?
कीटो डाइट का पूरा नाम कीटोजेनिक डाइट है। इस डाइट में कार्ब्स का सेवन कम होता है और प्रोटीन्स और फैट्स के सेवन को बढ़ाया जाता है। इस डाइट को मूल रूप से 1920 में चिकित्सकों द्वारा मिर्गी के इलाज के लिए विकसित किया गया था। हालाँकि कई खोजों में यह सामने आया की इस डाइट से अन्य लोगो की भी मदद की जा सकती है।
इस तरह की डाइट में फैट्स का लगभग 70-75% सेवन होता है और प्रोटीन्स का 20-25%। लेकिन कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन 5% तक ही सीमित होता है। सुनने में ऐसा खाना संतुलित आहार खाने के खिलाफ लग सकता है लेकिन कीटो डाइट का उद्देश्य शरीर को कीटोसिस में लाना होता है। और शीरे कीटोसिस में तब आता है जब वह ऊर्जा के उत्पादन के लिए शुगर के बजाए फैट का इस्तेमाल करता है।
कीटो डाइट के लाभ
वज़न कम करने में सहायक
आमतौर पर जब आप कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं तो वे ग्लूकोज में परिवर्तित हो होता है जिससे खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है और पैंक्रियास द्वारा इन्सुलिन का अधिक उत्पादन होता है। इस इन्सुलिन को शरीर ग्लूकोस की अधिक मात्रा को फैट के रूप में संग्रहित करने के लिए इस्तेमाल करता है। इस वजह से आपका वज़न बढ़ता है। लेकिन कीटो डाइट में जब कार्ब्स का सेवन बहुत कम होता है तो शरीर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए फैट का इस्तेमाल करता है। और जब ऐसा होता है तो शरीर कीटोसिस में चला जाता है इस समय वज़न घटता है।
लम्बे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है
वज़न घटाने के आलावा कीटो डाइट का सबसे बड़ा फाएदा यह है की यह आपको लम्बे समय तक संतुष्ट रखती है। हालांकि कीटो डाइट में फाइबर युक्त भोजन कम होता है, लेकिन इस आहार योजना के अन्य अनुशंसित भोजन खाने के बाद आपका पेट लम्बे समय तक पेट महसूस होता है। चूँकि अधिक फैट वाले भोजन आपको संतुष्ट महसूस करवाते है इसलिए आप आवश्यकता के ज़्यादा नहीं खाते है। इसके आलावा प्रोटीन युक्त भोजन को पचाने में समय लगता है जिसकी वजह से भी आपका पेट लम्बे समय तक भरा रेहता है। इस वजह से आप कम खाते है और वज़न भी संतुलित रख पाते है।
डायबिटीज़ के टाइप 2 को प्रबंध करने में मदद करती है
डायबिटीज़ के टाइप 2 में शरीर इन्सुलिन प्रतिरोधी हो जाता है। यह इंसुलिन का उत्पादन करता है लेकिन इसका प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करता है। इस प्रकार, नुकसान की भरपाई के लिए अग्न्याशय इसका अधिक उत्पादन जारी रखता है और अंततः रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है। बहुत सारे कारक हैं जो आपके शरीर को इस तरह से प्रतिक्रिया करने का कारण बन सकते हैं, लेकिन अतिरिक्त वज़न और निष्क्रियता सबसे आम है। कीटो डाइट इस कारण को ख़तम करने में मदद करती है। चूँकि कीटो डाइट से वज़न कम होता है तो आपको खून में शुगर का सही स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है और डायबिटीज़ नियंत्रित होता है।
आपको कुल रूप से स्वस्थ बनाती है
यदि कीटो डाइट के दीघर्कालिक प्रभावों को देखा जाए तो यह आपको कुल रूप से स्वस्थ बनाने में मदद करती है। आपके वज़न, बीएमआई, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और ट्राइग्लिसराइड के स्तर नियंत्रण में आते है। चिकित्सक भी इसका इस्तेमाल सिरदर्द, पार्किंसंस रोग या अल्जाइमर रोग में कर सकते है।
कीटो डाइट के नुकसान
कीटो फ्लू या कीटो रैश हो सकता है
जब आप कीटो डाइट शुरू करते है तो आप कार्ब्स के सेवन को बहुत कम कर देते है। ऐसा करने से आपके शीरे में कई बदलाव आते है। इस बदलाव के दौरान आपको कीटो फ्लू या कीटो रैश हो सकता है। कीटो फ्लू में आम फ्लू जैसे लक्षण हो सकते है लेकिन यह बिलकुल भी संक्रामक नहीं होता है और आपको चिंतित होने की भी ज़रूरत नहीं है। 3 से 5 दिनों के अंदर यह अपने आप ठीक भी हो जाता है। वही दूसरी तरफ कीटो रैश में त्वचा पर दानें, सूजन और खुजली हो सकती है। ऐसी स्थितियां आपको यह डाइट छोड़ने पर मजबूर कर सकती है। लेकिन अगर आप थोड़े सख्त बनेंगे तो इस डाइट का लाभ आपको जल्द ही मिलेगा।
किडनी में पत्थरी बन सकती है
किडनी में पत्थरी का बनना कीटो डाइट का सबसे बड़ा नुकसान है। अगर कई महीनों तक इस डाइट का पालन किया जाए तो पेट में दर्द, मतली, उलटी और किडनी में पत्थरी बनने का खतरा बढ़ जाता है।
पोषक तत्वों की कमी
कीटो डाइट में कई सरे खाद्य पदार्थ माना होते है। फाइबर और विटामिन सी जैसे कई तत्व शरीर को नहीं मिलते है। डेयरी उत्पाद भी कीटो में माना होते है। इसकी वजह से शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इन कमियों के कारण कई बीमारियां भी हो सकती है। इसलिए इस डाइट को अपनाने से पहले डायटीशियन की सलहा लेना ज़रूरी है।
पालन करने में कठिन होती है
कीटो डाइट के खाद्य पदार्थ आमतौर पर उपलब्ध नहीं होते है। आपको किराने की दुकान पर कीटो के अनुकूल तेल और फल मुश्किल ही मिलेंगे। आपके लिए पार्टीज़ पर जाना और बाहर खाने पर जाना मुश्किल हो सकता है क्यूंकि कीटो खाना कही मिलना मुश्किल होता है। इसके साइड इफेक्ट्स के कारण भी इसका पालन करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए पहले अपने डायटीशियन की सलहा लें और फिर ही कीटो डाइट को शुरू करें।