क्या आप जानते है कि आपकी किडनियाँ एक दिन में लगभग 170 लीटर खून साफ़ करती है? सिर्फ इतना ही नहीं, वह शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए ज़िम्मेदार होती है। शरीर में से टॉक्सिन्स बाहर निकालने से लेकर रेड ब्लड सेल्स बनाना या ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना, सब आपकी किडनियाँ ही करतीं है। यह देखते हुए की आपकी किडनियाँ कितनी महत्वपूर्ण है, क्या आप उनका खास ख्याल रख रहे है? किडनी में किसी भी तरह कि परेशानी लम्बे समय में गंभीर किडनी रोग का कारण बन सकती है। इसलिए आज हम किडनी रोगों के बारे में बात करेंगे और बताएँगे की कैसे आप इनसे बच सकते है।
किडनी रोग क्या है?
किडनी का मुख्य कार्य शरीर में से टॉक्सिन्स निकालना है। वे शरीर में नमक, पोटैशियम और पीएच को भी विनियमित करती है, रेड ब्लड सेल्स और होर्मोनेस का उत्पादन करती है और कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाती है।
लेकिन कई बिमारियों और दवाओं के लंबे उपयोग के कारण किडनी ख़राब होने लगती है। शुरुआत में इसके ज़्यादा लक्षण नहीं होते है इसलिए लोगों को अक्सर इसका पता नहीं चलता है और वह अपनी किडनी की सेहत पर ध्यान नहीं देते है। कई लोगो की स्थिति स्थिर रहती है जबकि कुछ लोगो की किडनियाँ तेज़ी से ख़राब हो जाती है। किडनी के सभी रोग क्रोनिक किन्डेय डिजीज (chronic kidney disease) कहलाते है।
किडनी रोगों के लक्षण
- जी मिचलाना
- उल्टी
- दुर्बलता
- भूख में कमी
- नींद न आना
- सूजे हुए पैर या टखने
- लगातार पेशाब आना
- तरल अवरोधन (water retention)
- खून की कमी
- उच्च पोटैशियम का स्तर
- छाती में दर्द
- साँस लेने में परेशानी
- उच्च रक्त चाप (hypertension)
- मांसपेशियों में ऐंठन
अगर आप दिए गए लक्षण महसूस कर रहे है तो अपनी सही जांच ज़रूर करवाएँ। जांच करवाना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि यह लक्षण किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या की वजह से भी हो सकते है।
किडनी की बीमारियों के कारण
डायबिटीज – किडनी की बिमारियों का सबसे आम कारण डायबिटीज है। शुगर लेवल ज़्यादा होने के कारण ब्लड वेसल्स ख़राब हो जाती है जिनके कारण किडनी अपना काम करने में असमर्थ हो जाती है।
उच्च रक्तचाप – उच्च रक्तचाप (hypertension) किडनी की बीमारियों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
रक्त का बढ़ा हुआ दबाव किडनी की छोटी रक्त वाहिकाओं को तनाव में डाल देता है और किडनी के कार्य कम होने लगते हैं।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस- ग्लोमेरुली (glomeruli) किडनी की छोटी फ़िल्टरिंग यूनिट्स हैं। ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (glomerulonephritis) ग्लोमेरुली में सूजन आ जाने के बाद होता है। यह जन्म के समय संक्रमण, दवाओं या असामान्यताओं के कारण हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप किडनी अप्रभावी हो सकती हैं।
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज – पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (polycystic kidney disease) एक सामान्य इनहेरिटेड बीमारी है जिसमें किडनी में कई सिस्ट बन जाते है जिनके कारण किडनी के कार्यो में अर्चन आ जाती है।
पथरी – किडनी की पथरी आम समस्या है। यह तब बनती है जब मिनरल्स या अन्य पदार्थ खून में क्रिस्टलाइज़ हो जाते है। वह अक्सर खुद ही शरीर से निकल जाते है लेकिन कई बार उन्हें निकालने के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ती है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन– यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (urinary tract infection) बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो यूरिनरी सिस्टम के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ये संक्रमण उपचार योग्य हैं लेकिन अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो किडनी में फैल सकता है जिसके परिणामस्वरूप किडनी विफल हो सकती है।
ड्रग्स और टॉक्सिन्स – बड़ी मात्रा में दवाएं या किसी भी तरह के टॉक्सिन्स लेना भी किडनी की बिमारियों का कारण बन सकता है।
अनुपचारित किडनी की बीमारियों के परिणाम
यदि किडनी के रोगों को अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो उनको अपरिवर्तनीय नुकसान हो सकता है और ज़िंदा रहने के लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ सकती है। इसके अलावा अनुपचारित किडनी की बिमारियों के यह परिणाम हो सकते है:
- शरीर में पोटैशियम का स्तर बढ़ना जिसके कारण दिल के कार्यो में अर्चने आ सकती है और जान को भी खतरा हो सकता है।
- हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
- रेड ब्लड सेल्स कम होने के कारण एनीमिया।
- द्रव प्रतिधारण (fluid retention), जिसके कारण हाथ और पैरो में सूजन हो सकती है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन या इनफर्टिलिटी (erectile dysfunction or infertility)
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम (central nevous system) को नुकसान
- कमज़ोर इम्युनिटी
- प्रेगनेंसी में जटिलताएँ
परीक्षण रिपोर्ट को समझे
किडनी के रोगों की पहचान करने के लिए आपका डॉक्टर आपको किडनी फंक्शन टेस्ट (kidney function test/KFT) करवाने के लिए कह सकता है। इस टेस्ट में नीचे दिए गए पैरामीटर्स होते है। दिया गया टेबल आपको अपनी टेस्ट रिपोर्ट समझने में मदद करेगा। (हर लैब की रिफरेन्स रेंज थोड़ी अलग हो सकती है)
NAME | REFERENCE RANGE |
Blood urea | 15.0 – 40.0 mg/dl |
Serum creatinine | 0.46 – 1.20 mg/dl |
Serum uric acid | 2.6 – 6.0 mg/dl |
Serum calcium | 8.6 – 10.2 mg/dl |
Seru phosphorus | 2.5 – 4.5 mg/dl |
Blood urea nitrogen (BUN) | 7.0 – 18.0 mg/dl |
Serum sodium | 136 – 145 mmol/L |
Serum potassium | 3.5 – 5.1 mmol/L |
Serum chloride | 98 – 107 mmol/L |
Bun/Creatinine ratio | 12:1 – 20:1 |
टेस्ट की फ्रीक्वेंसी
- जिन लोगो के टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव है और किडनी स्वस्थ है, उन्हें हर 6 महीने में किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाना चाहिए।
- जो लो क्रोनिक किडनी डिजीज के स्टेज 1 में है, उन्हें हर महीने किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाना चाहिए।
- जो लोग क्रोनिक किडनी डिजीज के स्टेज 5 में है, उन्हें हर हफ्ते किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाना चाहिए।
- जो लोग डायलिसिस पर है, उन्हें हफ्ते में दो से तीन बार किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाना चाहिए। हर डायलिसिस से पहले एक ताजा किडनी रिपोर्ट ज़रूरी है।
- जिन बुज़ुर्गो का पोटैशियम लेवल कम है, उन्हें भी हर हफ्ते किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) करवाना चाहिए।
किडनी के बचाव के लिए उपाय
आपकी किडनियाँ आपके शरीर का एक ज़रूरी हिस्सा होती है। इसलिए उन्हें स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी है। अगर आप पहले से ही किडनी की बीमारी से जूझ रहे है तो आपका डॉक्टर आपको उसके उपचार के बारे में जानकारी देगा। वार्ना आप अपनी जीवनशैली में थोड़े बदलाव ला कर किडनी की बीमारियों से खुद को बचा सकते है। दिए गए सुझाव आपकी मदद करेंगें
- अपनी डाइट में सेब, लाल अंगूर, स्ट्रॉबेरी, चेरी और तरबूज़ जैसे फल शामिल करें।
- आपकी डाइट में पालक, प्याज़, अदरक, लहसून, गोभी, मटर और बीन्स जैसी सब्ज़ियाँ भी शामिल करें।
- अपने हर भोजन में धनिया डालें
- अधिक पानी पिए
- नमक के सेवन को कम करें
- प्रोटीन के सेवन को कम करें
- शराब का सेवन करने से बचें
- नियमित रूप से कसरत करें
- योग को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाए
- दर्द कम करने की दवाएं कम से कम खाएँ
ध्यान दें कि अपनी जीवनशैली में अचानक कोई बड़े बदलाव लाने से पहले अपने डॉक्टर की राय ज़रूर लें। ऐसा कर आप सुनिश्चित रहेंगें की यह बदलाव आपको कोई नुसकान नहीं पहुँचेंगें।