Contributed by – Healthians Team
आजकल किशोरों में देर रात तक जागना प्रचलन बन गया है। हो सकता है कि आपका बच्चा भी इस प्रचलन का पालन कर रहा हो। हालाँकि आप इस आदत के लिए आज की जीवनशैली को दोषी ठहरा सकते हैं, लेकिन यौवन भी इसका एक कारण हो सकता है। आपका बच्चा समय पर न सोने के कई बहाने बना सकता है लेकिन नींद की इस कमी से उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर हो सकता है। इसलिए आपके लिए अपने बच्चे को बिमारियों से बचाने के लिए यह समझना ज़रूरी है कि क्यों किशोर देर रात तक जागते है।
किशोरों में स्लीप डिसऑर्डर के कारण
यौवन
यौवन वह समय होता है जब बच्चे का शरीर बहुत सारे बदलावों से गुज़रता है। लड़कियां और लड़के अलग-अलग बदलाव अनुभव करते हैं। अन्य परिवर्तनों के साथ उनके शरीर के नींद के चक्र में भी परिवर्तन आता है। युवावस्था से पहले, यदि आपके बच्चे को रात 9 बजे के आसपास सोने की आदत थी, तो यौवन के बाद, इस बदलाव के कारण, वह कुछ घंटों बाद नींद महसूस कर सकता है। नींद आने में इस देरी का मतलब यह नहीं की अधिक नींद की आवश्यकता नहीं। आपके बच्चे को अभी भी औसतन 9 घंटे की नींद की ज़रुरत है। चूंकि अधिकांश स्कूल जल्दी शुरू होते हैं, इसलिए किशोरों के लिए पूरी नींद लेना असंभव हो जाता है। इसलिए वह दिन भर सुस्त महसूस करते है।
तनाव
किशोरों से बहुत सीउम्मीदें लगायी जाती है। स्कूल के बाद जब वह घर आते है तो उन्हें सबसे पहले अपना होमवर्क पूरा करना होता है और ट्यूशन जाना होता है। कई बार स्कूल की कई प्रतियोगिताओं की तैयारी करने के लिए बच्चो को स्कूल में कुछ घंटे ज़्यादा रुकना पड़ता है। अपने दोस्तों के साथ भी समय बिताना उनके लिए ज़रूरी है। इसके आलावा सोशल मीडिया पर सक्रीय रहना भी आवश्यक हो गया है। आपके बच्चे के लिए यह सभी गतिविधियों को संतुलित रखना मुश्किल हो सकता है। साथ ही माता-पिता कीउम्मीदें जैसे की परीक्षा में अच्छे अंक लाना और अनुशासित रहना उन्हें तनाव में डाल सकता है। यह सब आपके बच्चे की नींद पर असर डालता है।
स्क्रीन टाइम
चूंकि तकनीक हमारे जीवन का हिस्सा बन गयी है, आपको अपने बच्चे के स्क्रीन टाइम पर ध्यान देना होगा। हालाँकि स्क्रीन टाइम के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर सक्रीय रूप से खोज जारी है, एक अभिभावक के रूप में आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका बच्चा इस पर क्या प्रतिक्रिया दे रहा है। यदि आपका बच्चा सोने के बजाय, फिल्में देख रहा है और बिस्तर में गेम खेल रहा है तो यह निश्चित रूप से उसकी नींद के पैटर्न और उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करेगा। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है की कितना स्क्रीन टाइम स्वस्थ है लेकिन इसका असर आखों और नींद पर ज़रूर देखा जा सकता है।
किशोरों में सामान्य नींद के विकार
अनिद्रा
किशोर के जीवन में बहुत सी चीज़ें अनिद्रा का कारण बन सकती है, लेकिन तनाव सबसे आम वजह है। आपके किशोर के लिए दिन की सभी गतिविधियों से निपटना और आपकी सभीउम्मीदों पर खरा उतरना मुश्किल हो सकता है। परिणामस्वरूप, वे तनावग्रस्त हो जाएंगे जो उनके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा। शारीरिक परेशानी और भावनात्मक परेशानी जैसे कारण भी किशोरावस्था में अनिद्रा का कारण बन सकते हैं। यदि अनिद्रा एक महीने से अधिक समय तक रहती है तो चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है। अनिद्रा कुछ दवाओं या मादक द्रव्यों के सेवन का एक परिणाम भी हो सकता है।
बुरे सपने
बुरे सपने आम है। लेकिन उनकी वजह से आपका बच्चा रात में कई बार डर के उठ सकता है और हो सकता ही की उसे फिरसे सोने में मुश्किल हो। अगर आपके बच्चे को अक्सर बुरे सपने आते है तो आपको उस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। आमतौर पर वह तनाव और चिंता की वजह से होते है। लेकिन भावनात्मक अनुभव जैसे की घर बदलना, किसी की मृत्यु और लड़ाई-झगड़े भी बुरे सपनों का कारण बन सकते है। इन सपनों के दौरान देखे गए दृश्य वास्तविकता से बिलकुल असंबंधित लग सकते है, लेकिन वह निश्चित रूप से जुड़े हुए होते है। ऐसी स्थिति में अपने बच्चे से उसके स्कूल, दोस्तों और सामाजिक जीवन के बारे में बात कर उनकी परेशानी का पता लगाने की कोशिश करें। अन्यथा, एक परामर्शदाता या मनोचिकित्सक की सहायता लें।
नींद में चलना
बच्चे अक्सर नींद में तब चलते है जब वह तनाव में होते है या बीमार होते है। नींद में चलने वाले हर रात नींद में नहीं चलते है और जब भी वह चलते है तो खुद ही अपने बिस्तर पर वापिस आजाते है। उन्हें यह सब याद नहीं रहता है। अगर आपका बच्चा नींद में चलता है तो आपको उसका ध्यान रखने की ज़रूरत है क्यूंकि वह नींद में चलते हुए खुद को चोट पंहुचा सकते है। उन्हें जगाने की कोशिश न करें क्यूंकि यह उनको चौंका सकता है। अपने बच्चे को आराम से उसके बिस्तर तक पहुंचने में मदद करें।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया
स्लीप एपनिया एक गंभीर नींद विकार है जो सोते समय अनियमित श्वास का कारण बनता है। यदि आपके बच्चे में टॉन्सिल या एडेनोइड बढ़े हुए हैं, तो उसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया का खतरा है। विभिन्न अंतरालों में उसकी सांस रुक सकती है और शुरू हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, शरीर में ऑक्सीजन का पर्याप्त प्रवाह नहीं होगा जो आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों को जन्म दे सकता है। यदि आपका बच्चा पूरे दिन नींद में रहता है और सोते समय ज़ोर से खर्राटे लेता है, तो स्थिति को सुलझाने और गंभीर जटिलताओं को रोकने के लिए उचित उपचार की सिफारिश करें।
पी.एल.एम.डी. और आर.एल.एस.
पीरिऑडिक लिम्ब मूवमेंट डिसऑर्डर (PLMD) या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) किशोरों के बीच नींद की आम समस्या है। PLMD में आपके बच्चे को नींद के दौरान अनैच्छिक झटके आ सकते हैं। और आरएलएस में आपके किशोर को अंगों में जलन, मरोड़, खुजली या ऐंठन महसूस हो सकती है। पैरों और बाजुओं की ये हरकतें रात में आपके बच्चे की नींद में खलल डाल सकती हैं जिसकी वजह से वह दिन में थके हुए रह सकते है। आपका डॉक्टर इन स्थितियों के इलाज में मदद कर सकता है। कभी-कभी आयरन की कमियों का इलाज करने से भी मदद मिलती है।
नींद की बीमारी से जूझ रहे किशोर की इस तरह मदद करें
- अपने बच्चे को सोने औरजागने के एक समय बनाने में मदद करें। साथ ही सुनिश्चित करें की वह इसका पालन भी करें। इससे उनके शरीर को नींद का चक्र बनाने में आसानी होगी और आपका बच्चा समय से सो पाएगा।
- ध्यान दें की सोने के समय से पहले आपका बच्चा फिल्में न देख रहा हो या गेम न खेल रहा हो। इसके बजाए उसे किताब पढ़ने या डायरी लिखने जैसी आदतें सिखाए। सोने से पहले नहाने से भी शरीर को आराम दिलाने में मदद मिलेगी।
- सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे का कमरा अच्छी नींद के लिए उपयुक्त हो। कमरे में अँधेरा हो और वह ठंडा और शांत हो। गेम्स, टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल फोन जैसी चीज़ों को कमरे से बाहर कर दें।
- सोडा और कैफीन के सेवन के कारण भी आपके बच्चे को सोने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए सुनिश्चि करें की इनका सेवन कम से कम हो।
- अगर अच्छी नींद लेने के बावजूद भी आपका बच्चा थका हुआ या नींद में रहता है तो चिकित्सक की सलाह लें। चूँकि यह किसी बीमारी के लक्षण भी हो सकते है इसलिए आपका चिकित्सक उसको पहचनने में मदद करेगा।