Contributed by – Healthians Team
रंगों के खूबसूरत त्योहार होली की तैयारियां जोर–शोर से शुरू हो गई हैं। इको–फ्रेंडली (पर्यावरण–अनुकूल) जश्न के इस माहौल में क्या आप सुरक्षित और सेहतमंद होली की तैयारी में जुटे हैं? बहुत बढ़िया! होली का मजा तब दुगना हो जाता है जब आपको किसी हानिकारक केमिकल से जुड़ी या स्वास्थ्य संबंधी चिंता नहीं सताती।
जी हां, होली के जशन के साथ कुछ स्वास्थ संबंधी जोखिम भी जुड़े हो सकते हैं। लेकिन सावधानी और बचाव के तरीकों से आप पूरे मन से इस त्योहार का आनंद उठा सकते हैं।
होली के आनंद और उल्लास से भरे माहौल में कुछ स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:
एलर्जी : होली के रंग अक्सर केमिकल से बनाए जाते हैं और इनसे कुछ लोगों को ऐलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। एलर्जी से त्वचा, आंखों, नाक और गले में जलन हो सकती है। इनसे संवेदनशील लोगों में सर्दी, खांसी और सांस की तकलीफें भी हो सकती हैं। इनसे दमा और अन्य जटिल समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं।
त्वचा और बालों की समस्याएं : होली के रंगों में संभावित हानिकारक केमिकल्स से त्वचा की समस्याएं होने से स्वास्थ्य को बहुत बड़ा खतरा होता है। इनसे खुजली, लालिमा, सूखापन, स्केलिंग, जलन का एहसास और फुंसियां हो सकती हैं। इनसे मुहांसे, फोड़े और अन्य त्वचा संबंधी समस्या गंभीर रूप ले सकती हैं। होली के रंगों का प्रभाव बालों पर भी पड़ सकता है। कई लोगों को होली के बाद बालों का झड़ना, सिर की त्वचा पर खुजली, गंजापन, बालों का बेजान और रूखा होने जैसी समस्याओं का सामान करना पड़ता है।
आंखों की समस्याएं– होली के जश्न के बाद लोगों में पाई जाने वाली आम समस्याएं आंखों से जुड़ी होती हैं, जिनमें जलन, खुजली, आंखों में अधिक पानी आना, रोशनी के प्रति अधिक संवेदनशीलता, आंखों में दर्द या लाल होने के लक्षण शामिल होते हैं।
पाचन संबंधी समस्याएं– होली के उल्लास में रंग लगे हाथों से पकवान खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। रंग म्यूकस मेम्ब्रेन (श्लेष्म झिल्ली) में जलन पैदा कर सकते हैं जिसके कारण आपको मिचली, उल्टी या पेट की तकलीफ हो सकती है, साथ ही इंफेक्शन होने की संभावना भी बनी रहती है।
केमिकल्स का उपयोगः होली के रंगों में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायनों से आपके स्वास्थ्य के आधार पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। कुछ रसायनों के उपयोग से मतिमंदता, सीखने की अक्षमता, दृष्टि संबंधी समस्याएं, पक्षाघात (पैरालिसिस), गुर्दे की खराबी और त्वचा के कैंसर जैसी समस्याएं जुड़ी हैं; इसलिए सावधान रहें।
शराब/भांगः होली मनाने के कुछ अत्यंत उत्साही तरीकों से भी आपको सावधान रहने की जरूरत है जिनसे आपको चोट पहुंच सकती है या अवांछित समस्याएं हो सकती हैं। भांग का सेवन करने से रक्तचाप बढ़ना, दिल की धड़कन तेज होना जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोग शराब के साथ अन्य मादक पदार्थ मिलाकर सेवन करते हैं जिनके अक्सर गंभीर परिणाम हो जाते हैं।
ऑर्गैनिक रंगों को पहचानने के कुछ टिप्स
चलिए होली मनाने के कुछ प्राकृतिक तरीकों के विषय में जानें। आजकल हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए पर्यावरण के अनुकूल (इको–फ्रेंडली) रंग बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। नकली ऑर्गैनिक या झूठा दावा करने वाले उत्पादों से सावधान रहें, सुरक्षित रंगों को पहचानने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं
- आदर्श रूप से देखा जाए तो होली के ऑर्गैनिक रंगों पर उनमें उपयोग की गई सामग्रियों की जानकारी का उल्लेख होना चाहिए, इसलिए लेबल को ध्यानपूर्वक पढ़ें और फिर निर्णय लें।
- रंगों से यदि केमिकल या पेट्रोल की गंध आए तो उन्हें न खरीदें।
- यदि रंग पानी में घुलता नहीं है तो उनमें केमिकल हो सकता है, बेहतर होगा उन्हें न खरीदें।
- ऑर्गैनिक रंगों में चमकदार कण नहीं होते हैं और वे गहरे रंगों (डार्क शेड) में उपलब्ध नहीं होते हैं। इसलिए सिल्वर, गहरा पर्पल या काला रंग न खरीदें, हो सकता है कि वे प्राकृतिक रंग न हों।
स्वयं घर पर बनाएं होली के रंग
जी हां, यह आसान और सुरक्षित तरीका है और आप इन्हें कुछ रचनात्मक तरीके से बना भी सकते हैं। झूठे दावों के झांसे में पड़ने और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने की बजाय घर पर ही होली के रंग बनाना बेहतर होगा। प्रस्तुत है सुरक्षित होली के लिए प्राकृतिक रंग बनाने के कुछ तरीके
- बेसन में हल्दी मिलाएं और चमकदार पीला रंग पाएं।
- आप पानी में गेंदे के फूलों को उबालकर पीले रंग का पानी बना सकते हैं।
- लाल रंग बनाने के लिए गुड़हल (hibiscus) के फूलों के सूखे के पत्तों का पाउडर को आटे के साथ मिला लें।
- बीटरूट के टुकड़े काटकर या अनार के दाने पानी में मिलाकर मनमोहक गुलाबी रंग का पानी बना सकते हैं।
- पानी में केसर भिगोकर या अच्छी क्वालिटी की प्राकृतिक हिना या मेहंदी मिलाकर नारंगी रंग का पानी बना सकते हैं।
- हरा रंग पाने के लिए पानी में केवल नीम के पत्ते उबाल लें। आप उसमें पालक या धनिया के पत्तों को पीसकर डाल सकते हैं और गहरा हरा रंग पा सकते हैं।
फूलों, फलों और प्राकृतिक सामग्रियों से सबसे अच्छे प्राकृतिक रंग बनाए जाते हैं। होली के जश्न की तैयारियां करते समय स्वास्थ को ध्यान में रखकर इन रंगों का सावधानी से प्रयोग करें।
सुरक्षित होली के लिए कुछ सलाह
- होली में रंगों से खेलने से पहले मॉइस्चराइजर, लोशन, जैतून (ऑलिव) या नारियल का तेल त्वचा पर लगा लें। इससे आपकी त्वचा सुरक्षित भी रहती है और बाद में रंग छुड़ाना भी आसान हो जाता है। आप एक वॉटरप्रूफ सनस्क्रीन लोशन का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं तो होली खेलने से पहले उन्हें निकालकर कर रख दें। इस के जगह चश्मा पहनना बेहतर होगा।
- होली के रंगों से आपके बाल और सिर की त्वचा खराब हो सकती है इसलिए रंगों से खेलने से पहले आप सर और बालों में तेल लगा सकते हैं या कैप (टोपी) पहनकर उन्हें सुरक्षित रख सकते हैं।
- केवल जैविक (ऑर्गैनिक) तरीके से बनाए रंगों का ही प्रयोग करें, सबसे अच्छे हैं प्राकृतिक सामग्रियों से बने (डी.आई.वाय – डू इट यॉरसेल्फ) रंग।
- होली मनाने के बाद अपने आपको साधारण पानी और साबुन से साफ करें। कठोर साबुन, डिटर्जेंट या अन्य केमिकल का उपयोग करने से बचें, इनसे भी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
- चेहरे की चमक दोबारा पाने के लिए शहद के साथ नींबू का रस मिलाकर प्रयोग करें या बेसन, हल्दी और दही का एक प्राकृतिक फेस पैक बनाकर लगाएं।
- आंखों में रंग चले गए हों तो उन्हें ठंडे पानी से धो लें।
- चमकदार, स्वस्थ बालों को दोबारा पाने के लिए सिर पर अंडे की जर्दी या दही मलकर धो सकते हैं।
- पानी का ज़िम्मेदारी से उपयोग करें। गुब्बारे फेंककर न खेलें, इनसे चोट लग सकती है।
- भांग का सीमित सेवन करें और उसमें शराब और मादक पदार्थ (ड्रग्स) न मिलाएं।
इन साधारण नुस्खों से आप होली को और दिलचस्प और पर्यावरण के अनुकूल विधियों से मना सकते हैं। तो बिना किसी पछतावे–परेशानी के मनाइए स्वस्थ और सुरक्षित होली।
होली की शुभकामनाएं!