लेखिका – प्रेक्षा बुट्टन
आपने इंटरमिटेंट फास्टिंग के बारे में ज़रूर सुना होगा। आजकल इस पर बहुत चर्चा हो रही है। कुछ लोगों ने तो इसे वज़न कम करने का सबसे सरल और असरदार तरीका बताया है। वही दूसरी ओर कुछ लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग के तर्क पर सवाल उठा रहे है क्योंकि नाश्ता न करने और लम्बे समय तक भूके रहने को हमेशा शरीर के लिए हानिकारक माना गया है। आज हम इसी बारे में बात करेंगें और जानेंगें कि क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग आपके लिए सही है या नहीं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
ज़्यादातर लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग को एक तरह की डाइट मानते है। लेकिन ऐसा नहीं है। इंटरमिटेंट फास्टिंग खाना खाने का तरीका है। इसमें आप अपने भोजन की इस तरह योजना बनाते है जिससे आपको उसके ज़्यादा से ज़्यादा लाभ मिल सके। इंटरमिटेंट फास्टिंग में आप अपना भोजन नहीं बदलते है, बल्कि आप अपने भोजन खाने के समय को बदलते है। लेकिन सवाल यह है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से वज़न कैसे कम होता है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग में दो स्थितियाँ होती है। पहली है फेड स्टेट (fed state)। यह तब शुरू होती है जब आप खाना खाना शुरू करते है। यह 3 से 5 घंटे तक रहती है। इस दौरान आपका शरीर खाने को पचाता है। इस स्थिति के दौरान आपके शरीर का इन्सुलिन स्तर बड़ जाता है जिसकी वजह से आपका शरीर फैट जमा करता है। और दूसरी स्थिति है फास्टेड स्टेट (fasted state)। खाना खाने के 8 से 12 घंटे बाद यह स्थिति शुरू होती है। इस दौरान आपका इन्सुलिन स्तर कम हो जाता है और आपका शरीर ऊर्जा के लिए जमा किए गए फैट का प्रयोग करने लगता है।
आमतौर पर आपका शरीर ऊर्जा के लिए जमा किए गए फैट का प्रयोग नहीं कर पाता है क्योंकि आप स्वाभाविक रूपसे फास्टेड स्टेट में प्रवेश नहीं कर पाते है। इसलिए इंटरमिटेंट फास्टिंग में बिना अपना खाना बदले आप वज़न कम कर लेते है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग कैसे करें?
इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ तरीके है। आप उन्हें आज़मा कर पता लगा सकते है कि आपके लिए सबसे फाएदेमंद कौनसा है।
16/8 – इस तरीके में आप दिन के 16 घंटे उपवास करते है और 8 घंटे में अपना भोजन करते है। इन 8 घंटो में आप 1 या 2 बार अपना भोजन कर सकते है। इस तरीके को अपनाने का सबसे आसान तरीका है कि आप रात 8 बजे अपना डिनर कर लें और उसके बाद अगले दिन लंच करें।
5:2 डाइट – इस तरीके में आप हफ्ते के 5 दिन सामान्य रूप से खाना खाते है और बचे हुए 2 दिन आप सिर्फ 500-600 कैलोरी का ही सेवन करते है। उदाहरण के लिए आप हफ्ते में मंगलवार और शुक्रवार को 250-300 तक की कैलोरी के दो बार भोजन करें और बचे हुए दिन सामान्य भोजन करें।
ईट-स्टॉप-ईट (Eat-Stop-Eat) – इस तरीके में आप हफ्ते के एक या दो दिन 24 घंटे का उपवास रखते है। उदहारण के लिए डिनर कर लेने के बाद आप अगले दिन के डिनर से पहले कुछ नहीं खाते है। लेकिन आप पानी, चाय और कॉफ़ी ले सकते है।
आल्टरनेट डे फास्टिंग (alternate day fasting) – इस तरीके में आप हर दूसरे दिन 24 घंटे का उपवास करते है। अगर शुरुआत में यह आपके लिए मुश्किल हो रहा है तो आप उपवास के दिन अपना कैलोरी सेवन 500 कर सकते है और धीरे धीरे इसे 0 कैलोरी तक ला सकते है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के लाभ क्या है?
हार्मोनल और सेलुलर कार्यों को सुधारती है
जब आप कुछ समय तक कुछ नहीं खाते है तो आपके शरीर में कई बदलाव आते है। आपका इन्सुलिन स्तर कम हो जाता और ग्रोथ हॉर्मोन (growth hormone) बड़ जाता है। इसके कारण आप वज़न कम कर पाते है। आपका शरीर कोशिकाओं की मरम्मत भी शुरू कर देता है।
वज़न कम करने में मदद मिलती है
यह सबसे बड़ा कारण है की लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग को चुनते है। क्योंकि आप कम भोजन करते है तो आपका कैलोरी का सेवन कम हो जाता है। साथ ही इन्सुलिन के कम होने और ग्रोथ हॉर्मोन के बड़ने से आपका मेटाबोलिक फंक्शन (metabolic function) भी तेज़ हो जाता है। यह सब मिलकर आपको वज़न कम करने में मदद करता है।
डायबिटीज 2 के खतरे को कम करती है
डायबिटीज 2 तब होता है जब शरीर इन्सुलिन का सही से इस्तमाल नहीं कर पाता जिसकी वजह से ब्लड शुगर का स्तर बड़ जाता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग इन्सुलिन के स्तर को कम करता है जिससे डायबिटीज 2 के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
दिल की सेहत के लिए फाएदेमंद हो सकती है
ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के उच्च स्तर दिल की बिमारियों के कारण है। इंटरमिटेंट फास्टिंग से आपको इनके नियमित स्तर बनाए रखने में मदद मिलती है जिसकी वजह से इंटरमिटेंट फास्टिंग आपके दिल के सेहत के लिए फाएदेमंद हो सकती है।
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