खाँसी शरीर का बलगम ,धुआँ या एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों को शरीर से बहार निकालने का एक सामान्य तरीका है। लेकिन खाँसी किसी इन्फेक्शन या बीमारी का लक्षण भी हो सकती है। इसलिए खाँसी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। आपकी खाँसी का प्रकार और अनुभव उसका कारण बता सकता है। खाँसी कोरोनावायरस का भी एक बड़ा लक्षण है। यह भी एक कारण है जिसकी वजह से आपको खाँसी को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
गीली खाँसी
जब खाँसी के साथ बलगम भी हो तो वह गीली खाँसी होती है। आपको ऐसा महसूस होगा की आपके गले में कुछ अटका हुआ है। इस तरह की खाँसी में नाक बहना और थकान भी देखि जाती है।
गीली खाँसी होने का मतलब होता है कि आपका शरीर बलगम को बहार निकलने की कोशिश कर रहा है। जिन लोगो की छाती में किसी तरह का इन्फेक्शन होता है उनके बलगम में कभी कभी खून देखा जाता है। अगर यह खून गहरा लाल हो तो डॉक्टर की सलहा ज़रूर ली जानी चाहिए।
गीली खाँसी के कारण हैं:
- सर्दी लगना
- न्यूमोनिया
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)
- तीव्र ब्रोंकाइटिस
- अस्थमा
सूखी खाँसी
सूखी खाँसी तब होती है जब साँस लेने की नली में सूजन आ जाती है। इस खाँसी में बलगम नहीं होता है। आपको गले में खराश महसूस होती है जिसकी वजह से खासी होती है। यह खाँसी आमतौर पर सर्दी या फ्लू के ठीक हो जाने के कुछ हफ्तों बाद चली जाती है। लेकिन अगर ऐसा न हो तो इस खाँसी का कारण कोई अन्य बीमारी हो सकती है।
सूखीखाँसी के कारण
- कोरोनावायरस
- गले में खराश
- टॉन्सिल्लितिस
- साइनसाइटिस
- अस्थमा
- एलर्जी
- खाने की नली में खाना ऊपर आना
- दवाएं
- फेफड़ों का कैंसर
काली खाँसी
काली खाँसी एक अत्यधिक संक्रामक बैक्टीरिया के इन्फेक्शन के कारण होती है। इसमें खाँसी अनियमित रूप से बेकाबू हो जाती है। लगातार खाँसने के कारण थकान और दर्द हो सकता है।
शिशु और कमज़ोर इम्युनिटी वाले लोगो को इस तरह की खाँसी का अधिक खतरा रहता है। यह लोग दूसरे लोगो को भी संक्रमित कर सकते है। इससे बचने का एकमात्र तरीका इसके लिए टीका लगवाना है।
काली खांसी के अन्य कारण
- अस्थमा
- COPD
- न्यूमोनिया
- ट्यूबरक्लोसिस
- गला घुटना
क्रुप खाँसी
क्रुप एक वायरल इन्फेक्शन है और 5 साल से कम की उम्र वाले बच्चे आमतौर पर इससे प्रभावित होते है। यह ऊपरी वायुमार्ग में सूजन का कारण बनती है। बच्चों के वायुमार्ग पहले से ही संकरे होते है इसलिए उन्हें इस खाँसी से अधिक खतरा हो सकता है। इसके कारण उन्हें साँस लेने में अधिक कठिनाई हो सकती है। गंभीर मामलो में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चे नीले पड़ सकते है।
खाँसी के अन्य कारण
- धूम्रपान – धूम्रपान करने वालों को अक्सर खाँसी रहती है।
- दवाएं – जो लोग ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाली दवाएं लेते है वह कई बार खाँसी का अनुभव करते है।
- तनाव – तनाव के कारण सर्दी-जुखान लम्बे समय तक रह सकता है जिसकी वजह से खाँसी भी रहती है।
- निर्जलीकरण (dehydration) – बलगम को निकालने के लिए अधिक से अधिक पानी पीने की सलहा दी जाती है। अगर आप पानी कम पीते है तो बलगम के कारण लम्बे समय तक खाँसी रह सकती है।
- बहुत ज़्यादा नमी वाली या शुष्क हवा – बहुत ज़्यादा शुष्क हवा या बहुत ज़्यादा नमी वाली हवा अस्थमा के रोगियों को परेशान कर सकती है।
डॉक्टर के पास कब जाएं
आमतौर पर खाँसी खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ मामलो में खाँसी की गंभीरता को देखते हुए उचित इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है।
व्यसक:
- खांसी जो 8 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है
- बलगम में खून आना
- शरीर का उच्च तापमान
- कमजोरी
- निर्जलीकरण
- हिंसक खांसी का दौरा
- नींद में खलल
बच्चे:
- खांसी जो 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है
- बुखार
- चलने या बात करने में असमर्थता
- नीला या पीला पड़ना
- भोजन को निगलने में असमर्थता
- हिंसक खाँसी का दौरा
(इस आर्टिकल को इंग्लिश में पढ़ें)